ओमिक्रोन वेरिएंट क्या है,लक्षण, बचने के उपाय, कहाँ पाया गया, कितना खतरनाक है और कैसे बचा जा सकता है (Omicron kya hai, symtoms, where it found?).
Omicron varient 2021: ओमिक्रोन वेरिएंट कोरोना वाइरस का ही एक दूसरा रूप है. जिसका डर दुनिया मे लगातार फैलता ही जा रहा है. अभी तक दुनिया कोरोना के दूसरे वेरिएंट डेल्टा से निपट नही पाई है इस वेरिएंट मे काफी लोग मारे गए.
लेकिन अब कोरोना का एक और वेरिएंट omicron variant सामने आया है जोकि बहुत ही खतरनाक माना जा रहा है. ओमिक्रोन वेरिएंट साउथ अफ्रीका मे सबसे पहले पाया गया और वहाँ से लेकर कोरोना का यह वेरिएंट अब तक 23 देशो मे पहुच चुका है.
ओमिक्रोन वेरिएंट क्या है (omicron varient kya hai)
ओमिक्रोन कोरोना वाइरस का ही रूप है यह डेल्टा के बाद दूसरा सबसे खतरनाक कोरोना वेरिएंट माना जा रहा है. इसे Omicron B.1.1.529 का नाम दिया गया है इस वाइरस के 50 से भी ज्यादा म्यूटेशनस (परिवर्तन) है और 30 स्पाइक प्रोटीन है.
भारत मे भी omicron variant cases आने लगे है. कई देशो ने तो अपनी अंतराष्ट्रीय फ्लाइट के आने जाने पर रोक लगा दी है.
स्पाइक प्रोटीन्स क्या होता है?
स्पाइक प्रोटीन्स क्या होता है: स्पाइक प्रोटीन आपकी पोषक कोशिका मे वाइरस को अंदर जाने मे मदद करता है. स्पाइक प्रोटीन्स की मदद से वाइरस बहुत ही आसानी से आपकी बॉडी के अंदर प्रवेश कर जाता है और आपको हानी पहुंचाना शुरू कर देता है.
ओमिक्रोन वाइरस के लक्षण (Omicron variant Symtoms)
ओमिक्रोन वेरिएंट वाइरस के लक्षण बिलकुल कोरोना वाइरस के अन्य लक्षणो की तरह है. लेकिन फिर भी दक्षिण अफ्रीका मे इस वाइरस से पीड़ित व्यक्ति से यह पूछने पर पता चला की उसको नॉर्मल कुछ दिनो से थकान,बुखार, कमजोरी, खुरखुरा गला,शरीर मे दर्द और सिरदर्द से पीड़ित था.
इसलिए वाइरस के इस वेरिएंट मे कुछ अलग अभी नही कहा जा सकता है लेकिन यह डेल्टा वेरिएंट से 6 गुना ज्यादा ताकतवर माना जा रहा है.
ओमिक्रोन वेरिएंट की जांच कैसे की जाती है?
omicron varient की जांच PCR Test (polymerase chain reaction) के जरिए की द्वारा की जाती है. इसमे आपके genitic material के बारे मे पता लगाया है कि यह आपके अंदर मौजूद है या नही. सबसे पहले आपका पीसीआर टेस्ट किया जाता है जिसके बाद आपका सलाइवा प्रयोगशाला भेजा जाता है.
जहां पर इस बात कि पुष्टि की जाती है कि आप पॉज़िटिव हो या नही. अगर आप संक्रमित है तो आपके सैंपल को जिनोम सीक्वेंसिंग लैब मे भेजा जाता है. अगर वहाँ आपके सैंपल मे S Gene मिसिंग है. इसका सीधा मतलब है कि आप ओमिक्रोन वेरिएंट (omicron virus varient) से पीड़ित है.
अगर S Gene आपके अंदर मौजूद है तो इसका मतलब आप कोरोना के किसी अन्य वेरिएंट से प्रभावित है. इस तरह S Gene तकनीक की मदद से कोरोना के इस नए वेरिएंट Omicron variant का पता लगाया जाता है.
ओमिक्रोन जांच के लिए किट का निर्माण
इस नए तरह के वेरिएंट की जांच के लिए ओमिक्रोन वेरिएंट जांच किट (omicron varient test kit) का निर्माण किया जा रहा है. जिससे की आसानी से इस वाइरस के विषय मे पता लगाया जा सकेगा.
WHO के अनुसार जब तक omicron test kit का निर्माण पूरा नही जाता तब तक S Gene तकनीक के इस्तेमाल से ही इस वाइरस के बारे मे पता लगाया जाएगा.
ओमिक्रोन वेरिएंट से कैसे बचे? (bachne ke upaay)
कोरोना वाइरस के ओमिक्रोन वेरिएंट से बचने के लिए आपको सरकार द्वारा बनाए गए नियमो का पालन करना है. अपने आस पास स्वच्छ वातावरण बनाए और भी कुछ नियमो के बारे मे हम नीचे बताएँगे.
- सरकार द्वारा बनाई गई कोरोना से बचाब की नीतियो का पालन करें.
- अपने चहरे पर मास्क हमेशा पहनकर रखे और अपने मास्क को कुछ समय अंतराल मे जरूर बदले.
- अपने हाथो को सैनीटाइज़ करें और किसी भी अंजान चीज़ को ऐसे ही न छूये.
- अच्छी सेहत वाली चीज़ों का सेवन करें जो आपकी इम्मुनिटी को बढ़ाए.
- थोड़ी सी भी शरीर मे कोई परेशानी मालूम होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाये.
- किसी भी व्यक्ति से 2 गज की दूरी बनाकर रखे.
FAQs
हाँ, एक रिपोर्ट के अनुसार यह पाया गया है कि Omicron virus variant delta virus से 6 गुना तेज़ फैलता है.
हाँ कोरोना वाइरस इंडिया मे भी आ चुका है अब तक इसके कुछ केस इंडिया मे देखने को मिले है.
कोरोना वाइरस के नए वेरिएंट का नाम omicron है.
कोरोना वाइरस के नए वेरिएंट का सबसे पहला केस साउथ अफ्रीका मे पाया गया.
ओमिक्रोन वेरिएंट का सबसे पहला केस 24 नवम्बर को साउथ अफ्रीका मे मिला.
आज हमने सीखा
आज की इस पोस्ट मे हमने जाना कि कोरोना वाइरस का नया ओमिक्रोन वेरिएंट क्या है,कैसे फैलता है, कहाँ पाया गया, लक्षण, बचने के उपाय क्या है. कोरोना वाइरस का omicron variant बहुत ही तेज़ी से लोगो मे फैल रहा है. और अभी तक इसके लिए कोई भी टेस्ट किट का निर्माण नही किया जा सका है.
ताकि इस वाइरस की एकदम से पुष्टि की जा सके, इस वाइरस का पता लगाने के लिए डॉक्टर्स S Gene तकनीक का इस्तेमाल कर रहे है. लेकिन इसमे बहुत लंबा समय लगता है क्योकि पहले मरीज के सैपल को टेस्ट प्रयोगशाला मे भेजा जाता है.
जहां पर इस बात की बात पुष्टि की जाती है कि व्यक्ति वाइरस से पीड़ित है उसके बाद ओमिक्रोन वेरिएंट का पता लगाने के लिए S Gene center भेजा जाता है. जहां पर इस वाइरस के होने की पुष्टि की जाती है इसमे काफी प्रोसैस लगता है.
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